स्वास्थ्य मंत्रालय का चार्टर: परिजनों के पेमेंट न कर पाने भी शव देने से इनकार नहीं कर सकेंगे अस्पताल

नई दिल्ली। यदि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से मरीजों के अधिकारों के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट चार्टर को मंजूरी मिलती है तो यह बड़ी राहत का सबब हो सकता है। इससे मरीजों को किसी भी रजिस्टर्ड फार्मेसी से दवा खरीदने और किसी भी मान्यता प्राप्त लैब से टेस्ट कराने की छूट मिल सकेगी। उन्हें कोई भी अस्पताल अपनी ही दवा खरीदने या लैब का इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा। मरीजों के चार्टर में इसके अलावा 17 अन्य अधिकारों को भी शामिल किया गया है। इस चार्टर को मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर भी जारी किया है। इसमें लोगों से सुझाव और टिप्पणियां मांगे गए हैं।इस चार्टर में इमर्जेंसी केयर का अधिकार भी शामिल है, जिसमें पेमेंट की बाध्यता नहीं है। इसके अलावा मरीजों एवं उनके परिजनों को बीमारी और इलाज से संबंधित सभी ओरिजिनल डॉक्युमेंट्स और फोटो कॉपीज को रखने का अधिकार होगा। किसी भी तरह की जांच और केस पेपर से संबंधित दस्तावेज मरीज एवं उसके परिजनों को 24 से 72 घंटों के बीच दिए जाएंगे।मरीजों को उनके इलाज से संबंधित सभी सूचनाएं हासिल करने, इलाज के तरीके के बारे में जानने का हक होगा। इसके अलावा अस्पताल को मरीजों को जो बिल देना होगा, उसमें एक-एक आइटम की डिटेल और उस पर लिए गए चार्ज की जानकारी भी देनी होगी। इसके अलावा मरीज के पास यह हक भी होगा कि वह किसी अन्य डॉक्टर से सेकंड ऑपिनियन ले सके। यदि इस चार्टर को लागू किया जाता है तो कोई भी अस्पताल मृत व्यक्ति के शव को बिना पेमेंट के परिजनों को सौंपने से इनकार नहीं कर सकेगा। वेबसाइट पर जारी नोटिस के मुताबिक मंत्रालय की योजना है कि इस चार्टर को राज्य सरकारों के जरिए लागू कराया जाए।

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